Friday, 30 January 2015

ओ गाँधी

ओ गाँधी,
तुम्हारे जाने के बाद भी .....
हमने जिन्दा तो रखा है तुम्हे ....

वैष्णव जन गा के मौत पर ,
सौ से हजार के  नोट पर ..

लटका के स्कूल की दीवार में  ,
चिपका के नेता जी की कार में  ..

टोपी से, चुनाव के हर भाषण से   ,
खादी से, चरखे से, मुफ्त राशन से..  

पार्क के, सड़क के, योजना के नाम तक ,
रामराज्य तक, दायें तक, वाम तक ..

ओ गाँधी,
हम गोड़से को हत्यारा पुकारते है....
और फिर रोज गांधी को मारते है ..

#अमितेष


Saturday, 9 February 2013

रोटी बोलती है



हाँ 
भूख,
भी प्रेम का,
पर्यायवाची है ...

और 
मूक,
भी प्रेम का,
समानार्थी है ....

अच्छा,
सच सच बताना,
क्या रोटी से आपने कहा है,
कि आपको रोटी से बहुत प्रेम है,
या आप रोटी के बिना जी ही नहीं सकते......

या क्या रोटी,
आपसे कभी कुछ बोलती है ?? 
~अज़ीम 

Thursday, 7 February 2013

शब्द


ऐसा 
नहीं कि
मैं जानता नहीं .....

और 
ऐसा भी,
नहीं कि
बता नहीं सकता ....

पर,
एहसास,
तो उनको भी होता है,
जिनके पास शब्द नहीं होते ............
~अज़ीम 

भटकाव


मैंने कहा,
रास्ते भर साथ निभाना ...

तुमने कहा,
तुम मेरी मंजिल हो .......

देखा आपने,
हम मंजिलों के साथ,
रास्तो पर,
भटक रहे है ................
~अज़ीम 

पुल (२)


पहले, 
उसने,
मुझसे कहा 
कि मैं पुल हूँ .........

और
फिर मुझे, 
कुचल के चला गया.....

जोड़ने वालो की,
शायद यही,
नियति है ....
~अज़ीम 

पागलपन ...


मैं भ्रमित हूँ,
लोग मुझे पागल कहते है....

शायद,
पागलपन ही मौलिकता है....

हो सकता है,
ये मौलिकता ही,
हमें भ्रमित करती हो .....
~अज़ीम 

शांती के लिए प्रर्थना....



आइये,
हम सब,
अपनी अपनी
दिवंगत आत्मा,
कि शांती के लिए प्रर्थना करें .....

बुराइयों से डर चुके है,
हम सब मर चुके है.....
~अज़ीम 

प्रेम अनंत है ..........


केन्द्र, 
परधि, 
व्यास, 
त्रिज्या 
और क्षेत्रफल
से परे है ........ 

संकुचन
और 
विस्तार
की असीम सम्भावना लिए... 

बिना किसी पाई के,
पैमाने और इकाई के,
प्रेम अनंत है ..........

तुम,
ना मानो,
तो नाप लो... 
~अज़ीम