क्षणिकाएं:अमितेष जैन
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साहित्य शिवपुरी
Thursday, 7 February 2013
भटकाव
मैंने कहा,
रास्ते भर साथ निभाना ...
तुमने कहा,
तुम मेरी मंजिल हो .......
देखा आपने,
हम मंजिलों के साथ,
रास्तो पर,
भटक रहे है ................
~अज़ीम
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