क्षणिकाएं:अमितेष जैन
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साहित्य शिवपुरी
Tuesday, 6 December 2011
ख्याब.....
क्या ये है
?
नही ये है।
अरे मिल गया!
नही ये नही है।
ढूढ रहा हूँ.....
रोज एसे ही परेशान करता है..
मेरा ख्याब मुझे बहुत हैरान करता है...
~अज़ीम
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