Thursday, 10 January 2013

आजादी


यदि तुम,
तोड़ भी दो,
सारी जंजीरे ........

तो भी क्या,
खुद से उलझना,
छोड़ दोगे ..........

पिंजरे पर,
स्वतंत्र आधिपत्य होना,
और आजाद होने में,
यही फर्क है ....
~अज़ीम 

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