क्षणिकाएं:अमितेष जैन
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साहित्य शिवपुरी
Tuesday, 3 April 2012
शिव.......
सुनो..
मानवता के,
दुनिया के,
समाजो के,
रीतियों के,
रिवाज़ो के,
धर्म के,
कर्म के,
प्रेम के,
सभी ज़हर पीना चाहता हूँ
मैं तुम्हारें लिये
शिव होना चाहता हूँ
~ अज़ीम
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