क्षणिकाएं:अमितेष जैन
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साहित्य शिवपुरी
Wednesday, 4 April 2012
बचपन
हां था तो कुछ
मासूम सा
हरा भरा
जब चाँद मामा था
और बिल्ली मौसी
जब खिलखिला के हँसते थे
जब दिलो में बसते थे
जब तितलियोँ के रंग थे
जब चिडियों से पंख थे
जब परियों की कहानी थी
जब नन्ही नन्ही नादानी थी
हाँ था तो कुछ
हां एक था बचपन
~अज़ीम
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