Wednesday 4 April 2012

बचपन


हां था तो कुछ 
मासूम सा 
हरा भरा 
जब चाँद मामा था 
और बिल्ली मौसी 
जब खिलखिला के हँसते थे 
जब दिलो में बसते थे 
जब तितलियोँ के रंग थे 
जब चिडियों से पंख थे
जब परियों की कहानी थी 
जब नन्ही नन्ही नादानी थी 
हाँ था तो कुछ 
हां एक था बचपन 
~अज़ीम 

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