Friday 13 April 2012

तुम्हे याद है......


अरे 
तुम्हे याद है? 
तुमने मेरा नाम जय रखा था 
और मैंने तुम्हारा वीरू 
तुम्हे याद है?
जब शहर में बारिश होती थी 
हम बरशाती मेंडक बनते थे 
तुम्हे याद है?
जब हवा तेज चलती थी 
हम चिड़िया बनते थे 
तुम्हे याद है?
जब गर्मी ज्यादा होती थी 
हम कैरी की तरह पेडो से लटकते थे 
जाने ये तूफ़ान कब आया 
हम दुनियाँ में घुल  गये 
तेरे दिल से मेरे दिल के 
सभी रास्ते धुल गये 
~अज़ीम 

2 comments:

  1. सुन्दर भावपूर्ण रचना...

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  2. स्मृतियों की महक लिए सुंदर अभिव्यक्‍ति!

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