मेरी हर
सफलता के बाद
लाद दी जमाने ने
कुछ अपेक्षाए
लापरवाही से मेरे ऊपर
फिर भी मै
मनाता गया जश्न
अपनी भार सी विजय का
एक टीस मन में लिये
एक मुस्कान के साथ
ये तो बस एक साँझ है
मेरी जीत की
और आने वाली सुबह
और भी भारी होगी
पर तुम जानते हो
और मैं भी
हम दोनों
कहाँ रुकने वाले है
~अज़ीम
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