Thursday, 8 December 2011

दर्जा....


हम
हमेशा दूसरे दर्जे के ही रहेगें,
क्यों की
प्रथम दर्जे
की कोई क़ाबलियत
हम में है ही नहीं
अब जिन्दगी की
जद्दोजहद के बाद
मक्करी, बेईमानी, चापलूसी
करने का वक्त
किसके पास है....
~अज़ीम 

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