क्षणिकाएं:अमितेष जैन
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साहित्य शिवपुरी
Thursday, 8 December 2011
प्यार और परम्परा
परम्परा
प्यार पर
हमेशा भारी रही है
सच कहू तो
प्यार की कोई
परम्परा ही नहीं है
~अज़ीम
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