Thursday 7 February 2013

प्रेम अनंत है ..........


केन्द्र, 
परधि, 
व्यास, 
त्रिज्या 
और क्षेत्रफल
से परे है ........ 

संकुचन
और 
विस्तार
की असीम सम्भावना लिए... 

बिना किसी पाई के,
पैमाने और इकाई के,
प्रेम अनंत है ..........

तुम,
ना मानो,
तो नाप लो... 
~अज़ीम 

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