तुम नहीं जानती मैंने तुम्हें कभी बताया ही नहीं एक बार जब तुम कविता लिख रही थी मैंने मैंने तुम्हे चुरा लिया था और मैं अब तक मैं तुम्हे कविता कि तरह गुनगुना रहा हूँ तुम नहीं जानती मैंने तुम्हें कभी बताया ही नहीं
मैं सब जानती हूँ मैं तुम्हे कनखियो से देख रही थी जब तुम मुझे चुरा रहे थे लेकिन मैं कुछ नही बोली क्यूंकी मैं खुद चाहती थी कि आजीवन मैं तुम्हारे साथ राहु गुनगुनाउ तुमसे बात करू... मैं तब से अब तक तुम्हारे साथ हूँ यही मेरे लिए खुशी की बात हैं...
मैं सब जानती हूँ
ReplyDeleteमैं तुम्हे कनखियो से देख रही थी
जब तुम मुझे चुरा रहे थे
लेकिन मैं कुछ नही बोली
क्यूंकी मैं खुद चाहती थी कि
आजीवन मैं तुम्हारे साथ राहु
गुनगुनाउ तुमसे बात करू...
मैं तब से अब तक तुम्हारे साथ हूँ
यही मेरे लिए खुशी की बात हैं...