क्षणिकाएं:अमितेष जैन
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साहित्य शिवपुरी
Wednesday, 29 February 2012
मोहताज
बदलकर
शब्दों का विन्यास
हम और तुम
बही बात करतें है
क्या विचारों की श्रेष्ठता
शब्दों की मोहताज है ?
~अज़ीम
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